हरींद्रानंद का जन्म 31 अक्टूबर 1948 को सीवान जिले के अमलौरी गांव में हुआ था। उन्होंने 1974 में शिव को गुरु के तौर पर स्वीकार किया। इस परंपरा में न तो कोई आडंबर था और न ही कोई हठयोग जैसी साधना...।
हालांकि, खुद 14 वर्षों तक बिहार के आरा जिला के गांगी श्मशान में जाकर उन्होंने साधना की थी। इस दौरान वे सांसारिक जीवन से कटे रहे। उनके करीबी बताते हैं कि बाद में उन्होंने अपनी साधना के बल पर सिद्धि प्राप्त की और शिव को जन-जन का गुरु बनाने का मन बनाया, जिसकी शुरुआत उन्होंने बिहार के ही मधेपुरा जिला से 1982 में की। वहां उनके करीबी रहे दिलीप कुमार झा ने उनका भरपूर साथ दिया।....
हरींद्रानंद का जन्म 31 अक्टूबर 1948 को सीवान जिले के अमलौरी गांव में हुआ था।
उन्होंने 1974 में शिव को गुरु के तौर पर स्वीकार किया। इस परंपरा में न तो कोई आडंबर था और न ही कोई हठयोग जैसी साधना...।