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शिव पूजा

घर पर प्रतिदिन शिवलिंग की पूजा के लिए सबसे पहले आचमन करें और फिर शिवलिंग पर गंगाजल या शुद्ध जल से अभिषेक करें. अब शिवलिंग पर चंदन का लेप लगाएं. शिवलिंग पर बेलपत्र, फूल और भोग आदि चढ़ाएं. पञ्चाक्षर मन्त्र 'नमः शिवाय' का 108 बार जाप करना चाहिए.

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शिव चर्चा की शुरुवात

हरींद्रानंद का जन्म 31 अक्टूबर 1948 को सीवान जिले के अमलौरी गांव में हुआ था। उन्होंने 1974 में शिव को गुरु के तौर पर स्वीकार किया। इस परंपरा में न तो कोई आडंबर था और न ही कोई हठयोग जैसी साधना...। हालांकि, खुद 14 वर्षों तक बिहार के आरा जिला के गांगी श्मशान में जाकर उन्होंने साधना की थी।

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तीर्थ स्थल यात्रा

तीर्थ यात्रा से ज्ञान बढ़ता है प्राचीन तीर्थ स्थलों पर जाने से पौराणिक ज्ञान बढ़ता है। देवी-देवताओं से जुड़ी कथाएं और परंपराएं मालूम होती हैं। प्राचीन संस्कृति को जानने का मौका मिलता है।

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अंतिम यात्रा

शिव शिष्य परिवार के संस्थापक साहब हरिंद्रानंद जी का अंतिम संस्कार सीठीओ (धुर्वा) मुक्तिधाम में होगा. सोमवार को सेक्टर-2 स्थित आवास से हरिंद्रानंद जी का अंतिम यात्रा निकाली गई. इस दौरान अंतिम दर्शन के लिए हजारों की संख्या में भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी. जिसके बाद लोगों ने नम आखों से श्रद्धांजलि दी

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हरींद्रानंद का जन्म

बिहार के सिवान जिला में जन्म हुआ था

हरींद्रानंद का जन्म 31 अक्टूबर 1948 को सीवान जिले के अमलौरी गांव में हुआ था। उन्होंने 1974 में शिव को गुरु के तौर पर स्वीकार किया। इस परंपरा में न तो कोई आडंबर था और न ही कोई हठयोग जैसी साधना...। हालांकि, खुद 14 वर्षों तक बिहार के आरा जिला के गांगी श्मशान में जाकर उन्होंने साधना की थी।

इस दौरान वे सांसारिक जीवन से कटे रहे। उनके करीबी बताते हैं कि बाद में उन्होंने अपनी साधना के बल पर सिद्धि प्राप्त की और शिव को जन-जन का गुरु बनाने का मन बनाया, जिसकी शुरुआत उन्होंने बिहार के ही मधेपुरा जिला से 1982 में की। वहां उनके करीबी रहे दिलीप कुमार झा ने उनका भरपूर साथ दिया।

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